Sunday, July 16, 2017

कतरा कतरा गम.. उर्दू गजल संग्रह






हिमांशु कुलकर्णी यांच्या उर्दू गजल संग्रहाचे गुरुवारी प्रकाशन



गुरूवारी हिमांशु कुलकर्णी यांच्या ...कतरा कतरा गम.. या उर्दू गजलांच्या पुस्तकाचा प्रकाशन समारंभ पुण्यात होत आहे..
डॉ. अनिश चिश्ती यांच्या हस्ते राजहंस प्रकाशनाच्या या पुस्तकाचे प्रकाशन होत आहे.. घोले रस्त्यावरच्या नेहरु सांस्कृतिक भवनात   20 ला संध्याकाळी सहाला  होत असलेल्या या समारंभात. रवि दाते( संगीतकार), प्रदिप निफाडकर(गजलकार) आणि डॉ. सदानंद बोरसे ( राजहंसचे संपादक)यांची भाषणे होणार आहेत..
पुस्तकाची प्रस्तावना निदा फाजली यांची आहे..त्यातलाच हा काही भाग..


हिंमाशु एक नया गजलकार..


चांद को आराईश की, फूल को जेबाईश की और हुस्ने जाती को नुमाईश का जरूरत नही होती
 शायरी भी कुदरत की एक नेमत है.. यह दरख्तों की तरह लहलहाती है, सितोरों की तरह  जगमगाती है, बच्चों की तरह मुस्कुराती है, नदी की तरह गुनगुनाती है.. इस लहलहाने, जगमगाने या मुस्कुराने के कायदे नही होते..




हिमांशू कुलकर्णी की रचनाएॅं उन के जज्बात और एहसासात का आइना है..
उन्हे जब जहॅां जैसा दिखाई दीया है उसे अपने शब्दोमें बयान किया है.. उनके इजहार का फार्म गजल है.. इन गजलों में, परंपरागत मीनाकारी नही है, शब्दोंकी प्रचलित लयकारी सै का भी कही कही आजादी बरती गयी है, मगर जो विशेषता इन्हे रचनात्मक सौंदर्य से सजाती है, वह कवि की ईमानदारी है..
उन्हों ने जैसा जिया है, वैसा लिखा है.. अपने अनुभवों पर विश्वास और उनको बयान करने की निरंतर प्यास ने साधारण लफ्जों को जगमगाया है.. और पढलेवालों मे यह एहसास जगाया है.. कि सोना खरा हो तो उसे किसी टकसाल की मुहर की जरूरत नही होती..
 हिमांशुजी मराठी के जाने पहजाने रचनाकार है.. मराठी मे उनकी पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है.. लेकिन गजल विधा के प्यान ने उन्हे उर्दू के करीब किया है.. मराठी और उर्दु के इस इन्टरएक्शन ने सिर्फ उन के अंदाजो मे ताजाकारी पैदा की है..एहसासातो जज्बात की ऐसी सूरतें भी कामयाबी से उभारी है.. जो उनकी गजलो की अलग से पहचान कराती है..
हिमांशु जी की इन गजलों मे दो तहजीबों के जुडाव ने क्या जादू जगाया है, जिसके लिए वह बधाई के योग्य हे.. आशा है मराठी कविताअोंकी भाॅंति उनकी उर्दू गजलों को भी पाठको का प्य़ार मिलेगा..

निदा फाजली_


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